डायबिटीज के मरीजों के साथ अक्सर समस्याएं होती रहती हैं। उन्हें खान-पान से लेकर व्यायाम तक का पालन सख्ती से करना होता है। ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाने के बाद डायबिटीज के मरीजों में कई असमानताएं होने लगती हैं, जिनमें से एक है घाव सूखने में समय लगना। क्या आपने कभी सोचा है कि डायबिटीज के मरीजों में घाव सूखने में समय क्यों लगता है? अगर आप भी डायबिटीज के मरीज हैं और आपके साथ अगर ऐसा होता है तो यह लेख आपके काम आ सकता है। इस लेख में हम आपको इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातों के बारे में बताएंगे। आमतौर पर ऐसा तब होता है जब मरीज का ब्लड शुगर लेवल हाई हो। इसी विषय पर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर के डायबिटेलॉजिस्ट डॉक्टर शैवाल चंडालया से बातचीत की। चलिए जानते हैं इसके बारे में।
1. ब्लड शुगर बढ़ना
डॉ. शैवाल चंडालया ने बताया कि डायबिटीज के मरीजों में घाव सूखने में समय लगने के पीछे का मुख्य कारण उनका बढ़ा हुआ ब्लड शुगर लेवल होता है। जब शरीर में ब्लड शुगर लेवल की मात्रा अधिक बढ़ा जाती है तो मरीज की शरीर में हुए घाव और चोट को सूखने में भी सामान्य से ज्यादा समय लगता है।
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2. इनेट इम्यूनिटी प्रभावित होना
डॉ. शैवाल के मुताबिक जब शरीर में ब्लड शुगर लेवल हद से ज्यादा बढ़ जाता है तब ब्लड ग्लूकोज का असर सीधा इनेट इम्यूनिटी पर पड़ता है। इनेट इम्यूनिटी हमारी शरीर में पैथोजेन को फैलने से रोकती है। इनेट इम्यूनिटी शरीर में किसी भी प्रकार के वायरस बैक्टीरिया जर्म्स आदि से लडने का सर्वप्रथम डिफेंस होता है। डायबिटीज के मरीजों में पहले से इम्यून सिस्टम कम एक्टिव होता है। डायबिटीज के कारण शरीर में इम्यून सिस्टम को कमज़ोर कर देने वाले एंजाइम्स और हार्मोन्स रिलीज होते हैं। इसलिए मरीजों में चोट सूखने में समय लगता है।
3. सफेद रक्त कोशिकाएं करती हैं प्रक्रिया
प्रभावहीन इम्यून सिस्टम के कारण डायबिटीज के मरीजों को पहले से ही घाव भरने में या किसी इन्फेक्शन से लडने में काफी दिक्कतें होती हैं। इनेट इम्यूनिटी में पाए जाने वाली सफेद रक्त कोशिकाएं घाव की तरफ सबसे पहले आकर्षित होती हैं। इस प्रक्रिया को केमोटेक्सिस कहते हैं। इसके पश्चात फैगोसाइटोसिस की प्रक्रिया होती है। फैगोसाइटोसिस में सफेद रक्त कोशिकाएं घाव तक पहुंचकर वह मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं पर आक्रमण करके उन्हें खत्म कर देती हैं। इसके अलावा घाव को भरने में और सेल्स और टिशूज को रिपेयर और रिबिल्ड करने में भी सफेद रक्त कोशिकाएं एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
4. फैगोसाइटोसिस की प्रक्रिया होती है प्रभावित
जब शरीर में ब्लड ग्लूकोज का लेवल 200mg/dl से भी अधिक होता है तब केमोटेक्सीस और फैगोसाइटोसिस की प्रक्रियाएं प्रभावित हो जाती है। जिसके परिणामस्वरूप डायबिटीज के मरीजों में घाव देर से भरते हैं। इसके अलावा जब ब्लड शुगर लेवल बहुत अधिक होता है तो नर्व्स डैमेज का खतरा बढ़ जाता है। यह अक्सर हाथ और पैर में होता है और प्रभावित जगह को सुन्न कर देता है। इसे विज्ञान की भाषा में न्यूरोपैथी कहते हैं। इससे चोट लगने पर दर्द या चुभन तक का भी एहसास नहीं होता है।
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5. रेड ब्लड सेल्स घाव तक पहुंचने में होती हैं असमर्थ
ऐसे में डायबिटीक मरीज को पता भी नही चल पाता की उसे चोट लगी है और ऐसी स्थिति में चोट काफी समय तक अनुपचारित रहती है। इससे घाव और भी गहरा हो सकता है। न्यूरोपैथी में रक्त संचार प्रभावित होता है। इस परिस्थिति में खून गाढ़ा भी हो जाता है और ब्लड सर्कुलेशन धीमा पड़ जाता है। इस कारण शरीर में न्यूट्रिएंट्स और ऑक्सीजन का सप्लाई भी स्लो हो जाता है। जब लाल रक्त कोशिकाएं घाव या चोट तक तेज गति से नहीं पहुंच पाते तब घाव भरने में और देरी लगती है।
इंफेक्शन से बचाव के लिए टिप्स
- डायबिटीज के मरीजों में घाव या चोट लगने पर ज्यादा दर्द नहीं होता है इसलिए उन्हें घाव का अंदाजा ठीक से नहीं हो पाता है।
- इसके लिए चोट लगने के तुरंत बाद ही चिकित्सक को दिखाएं। ऐसा करने से संक्रमण होने की आशंका कम होती है।
- इंफेक्शन से बचाव करने के लिए अपने बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखें।
- चोट लगने के बाद प्रभावित हिस्से पर नजर बनाए रखें, जिससे इंफेक्शन बढ़ने पर पता चल सके।
- चोट लगने के बाद प्रभावित हिस्से में साफ सफाई बनाए रखें।
यह लेख चिकित्सक द्वारा प्रमाणित है। इस लेख में दिए गए कारणों से आप समझ सकते हैं कि डायबिटीज के मरीजों में घाव भरने में समय क्यों लगता है।
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