पिछले कुछ सालों में हमने देखा है कि आत्महत्या की दर में बढ़ोत्तरी हुई है। कई जानी-मानी हस्तियों के नाम भी इस लिस्ट में शुमार है। आत्महत्या यानी अपनी जिंदगी खत्म कर देना। सवाल है कि आखिर लोग अपनी जिंदगी को इतनी आसानी से क्यों खत्म कर देते है? क्या जिंदगी में आई परेशानियां इतनी बड़ी या गंभीर हैं कि उन समस्याओं का समाधान ही न निकल सके? जाहिर है, अगर कोई आत्महत्या कर रहा है, तो वह हिम्मत खो चुका है, उसके मन में आगे संघर्ष करने की चाह खत्म हो गई है। इसलिए उसने आत्महत्या करने का फैसला किया है। लेकिन आपको ध्यान रखना चाहिए कि जिंदगी में कितनी ही प्रॉब्लम क्यों न आए, प्रॉब्लम कितनी ही बड़ी क्यों न हो, उन सबका हल जरूर मौजूद होगा। इसलिए अगर आपके मन में कभी ऐसा नकारात्मक ख्याल आए, तो आपको उन्हें खुद पर हावी नहीं होने देना है बल्कि अपने मन को मजबूत करना है और अपनी समस्या का डटकर सामना करना है। सुकून साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और साकोथैरेपिस्ट दीपाली बेदी से जानिए कि किन लोगों के मन में ऐसे ख्याल आते हैं और जब कभी आत्महत्या का विचार आए, तो उस स्थिति को कैसे हैंडल किया जा सकता है।
क्यों आता है आत्महत्या का ख्याल
आत्महत्या के विचार को रोकने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि आत्महत्या का ख्याल किन लोगों को आता है? जो बच्चे स्कूल में एग्जाम पास नहीं कर पाते, किसान जो कर्जे के बोझ में दबे हुए हैं, उन लोगों में जिन्हें नौकरी नहीं मिल रही है, उन लोगों में आत्महत्या का ख्याल ज्यादा आता है। लेकिन ऐसा विचार लोगों के मन में क्यों आता है? इसकी एक मुख्य वजह है कि जब लोगों के सामने कोई रास्ता नहीं है, उनकी परेशानियां बढ़ जाती हैं, उन्हें कोई समझ नहीं रहा है, उनके हालात उनके हाथ में नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में आत्महत्या का ख्याल मन में आने लगता है। क्लीनली आप इसे डिप्रेशन भी कह सकते हैं। जब व्यक्ति डिप्रेशन में आ जाता है, डिप्रेशन का स्तर बहुत बढ़ जाता है, तब लोगों के मन में आत्महत्या का विचार आता है। इसके अलावा कुछ मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स होती हैं जैसे साइकोटिक, जो आत्महत्या के लिए उकसाती है। ऐसी स्थिति में परिजनों को इनकी मदद करनी चाहिए।
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स्थिति से कैसे डील करें
दोस्तों से बात करें : जब भी आपके मन में ऐसे विचार आ रहे हैं कि अब जिंदगी में कुछ नहीं बचा है और इसे खत्म कर देना ही एकमात्र जरिया है। ऐसी स्थिति में बिना देर किए अपने किसी करीबी दोस्त, रिश्तेदार से बात करें। आपके मन में जैसा विचार आ रहा है, उसका जिक्र करें। ऐसा ख्याल क्यों आ रहा है, यह भी अपने दोस्त से बताएं। अपने मन की सभी नेगेटिव बातें उसे बताएं और जितनी देर संभव हो, उतनी देर अपने दोस्त से बात करें। अगर आपके साथ घर में कोई रहता है, तो उसके साथ भी अपने मन की बातें साझा कर सकते हैं।
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उम्मीद बनाए रखें : हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि स्थिति चाहे कितनी ही बुरी क्यों न हो, हालात कितने ही बेकाबू क्यों न हों, लेकिन उम्मीद कभी नहीं खोनी चाहिए। जैसे, मान लीजिए कि आप किसी ऐसी परिस्थिति में फंस गए हैं, लगने लगा है कि सब कुछ खत्म होने वाला है। अब इसके बाद क्या किया जा सकता है? लेकिन ध्यान रखें कि इस सोच के बाद भी कोई न कोई रास्ता जरूर निकल आता है। अगर आज कोई चीज खत्म हो रही है, तो एक नई चीज की शुरुआत भी कल हो सकती है। इसे ही उम्मीद कहते हैं। उम्मीद बनी रहेगी, तो नई शुरुआत करने में सहजता होगी।
एक्सपर्ट की मदद लें : अगर आपको लग रहा है कि आपका कोई परिचित आपकी मदद नहीं कर पाएगा या आपको किसी करीबी से अपनी प्रॉब्लम शेयर नहीं करनी है, तो आप एकस्पर्ट की मदद लें। एक्सपर्ट आपको न सिर्फ सही दिशा दिखाने में मदद करते हैं बल्कि आपको जिंदगी को पॉजिटिव अंदाज में जीने की राह दिखाते हैं और जिंदगी के मायने गहराई से समझाते हैं।
कुल मिलाकर अगर मन में कभी भी आत्महत्या का ख्याल आए, तो घर में अकेले न रहें। घर से बाहर निकल जाएं, करीबियों के पास जाएं, दोस्तों के साथ कहीं टहल आएं। अगर किसी वजह से कोई आपके आसपास मौजूद न हो तो सोलो ट्रिप पर निकल जाएं। लेकिन कहीं भी जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें। इस तरह आत्महत्या के ख्याल को झटकने में मदद मिलेगी।