Gender Identity Disorder: मानसिक स्वास्थ्य की स्पेशल सीरीज Mental Health A-Z के 7वें एपिसोड में भारत के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ निमेष देसाई बता रहे हैं G for Gender Identity Disorder के बारे में। ये एक ऐसा डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उसकी पर्सनैलिटी उसके शारीरिक लिंग के विपरीत है। इसे आजकल Gender Dysphoria भी कहा जाने लगा है। इस समस्या के होने पर पुरुष शरीर वाले व्यक्ति को लगने लगता है कि वो महिला है, जबकि महिल शरीर वाले व्यक्ति को लगता है कि वो पुरुष है।
Gender Identity Disorder को कैसे पहचानें?
आमतौर पर किसी बच्चे को 6-7 साल की उम्र से ये एहसास होना शुरू हो जाता है कि उसका शरीर उसकी भावनाओं से मेल नहीं खाता, लेकिन 10-11 साल की उम्र आते-आते कुछ लक्षणों से ये स्पष्ट होने लगता है कि उसे जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर है, जैसे- ज्यादातर समय खुद को दूसरे लिंग का मानकर बात करना या क्रॉस ड्रेसिंग करना यानी पुरुष का महिला वाले कपड़े पहनना और महिला का पुरुष वाले कपड़े पहनना आदि। कुल मिलाकर किसी व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक रूप से अलग-अलग होना ही Gender Identity Disorder है।
Gender Identity Disorder को कैसे ठीक कर सकते हैं?
डॉ देसाई बताते हैं कि आज से 2-3 दशक पहले तक जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए 2 तरीके अपनाए जाते थे, जिनमें एक था कि व्यक्ति के शारीरिक लिंग के अनुसार थेरेपीज के जरिए उसके व्यवहार में परिवर्तन किया जाए और दूसरा तरीका यह था कि व्यक्ति जिस लिंग का खुद को महसूस करता है, सर्जरी के द्वारा उसका लिंग परिवर्तन कर दिया जाए। मगर इन दिनों दूसरे तरीके को ही स्वीकार कर लिया गया है, यानी ऐसी समस्या में व्यक्ति की Sex Reassignment Surgery कर दी जाती है, यानी व्यक्ति की मानसिक स्थिति के अनुसार उसका लिंग बदल दिया जाता है।
वीडीयो में डॉ देसाई ने Gender Identity Disorder के बारे में और भी कई महत्वपूर्ण जानकारियां बताई हैं, जिन्हें जानने के लिए आप पूरा वीडियो देख सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में ऐसे और वीडियोज देखने के लिए आप onlymyhealth के यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।