वेस्टिबुलर हाइपोफंक्शन नामक बीमारी से पीड़ित हैं एक्टर वरुण धवन, जानें इसके कारण और बचाव के तरीके

एक्टर वरुण धवन वेस्टिबुलर हाइपोफंक्शन नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं। आइये जानते हैं इस बीमारी के कारण और बचाव के तरकों के बारे में।

Kunal Mishra
Written by: Kunal MishraUpdated at: Dec 28, 2023 16:09 IST
वेस्टिबुलर हाइपोफंक्शन नामक बीमारी से पीड़ित हैं एक्टर वरुण धवन, जानें इसके कारण और बचाव के तरीके

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एक्टर वरुण धवन अपनी फिटनेस और लुक्स को लेकर बखूबी जाने जाते हैं। फैंस उनकी फिटनेस के कायल हैं। लेकिन फिट दिखने के बावजूद वे एक बीमारी का शिकार हैं। जी हां, वरुण धवन वेस्टिबुलर हाइपोफंक्शन नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं। वरुण ने अपनी फिल्म भेड़िया के प्रमोशन के दौरान इस बीमारी होने का खुलासा किया। हालांकि, इससे बचने के लिए उन्होंने अपने लाइफस्टाइल में कई बदलाव किए और काफी हद तक इस बीमारी से रिकवर भी हुए। आइये जानते हैं इसके कारण और बचाव के तरीकों के बारे में। 

क्या है वेस्टिबुलर हाइपोफंक्शन? 

वेस्टिबुलर हाइपोफंक्शन कान से जुड़ा एक प्रकार का डिसऑर्डर है। इस बीमारी के होने पर कान के अंदरूनी हिस्से पर प्रभाव पड़ता है। दरअसल, कान के अंदर कई तरह की कनाल और नर्व्स पाई जाती हैं, जिनमें फ्लूड का बहाव होता है। इस समस्या के होने पर नर्व्स पर असर पड़ता है, जिससे कान के ठीक से काम करने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। ऐसी स्थिति में कई बार वर्टिगो अटैक भी आ सकता है। वेस्टिबुलर सिस्टम कान, आंख और मसल्स के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। 

वेस्टिबुलर हाइपोफंक्शन के कारण 

  • यह बीमारी होने के पीछे बहुत से कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। 
  • कान के अंदरुनी हिस्से में अगर पहले किसी प्रकार की समस्या हो तो ऐसे में आगे चलकर यह बीमारी हो सकती है। 
  • कई बार उम्र बढ़ने के साथ भी इस समस्या के होने की आशंका बढ़ जाती है। 
  • सिर में चोट लगने या फिर खून का थक्का बनने से भी वेस्टिबुलर हाइपोफंक्शन हो सकता है। 
  • कई बार दवाओं के ज्यादा सेवन या साइड इफेक्ट्स को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है। 

वेस्टिबुलर हाइपोफंक्शन से बचने के तरीके 

  • वेस्टिबुलर हाइपोफंक्शन को लंबे समय तक नजरअंदाज करने से बचना चाहिए। 
  • इस समस्या से बचने के लिए आपको लाइफस्टाइल में बदलाव करना चाहिए। 
  • इसके लिए योगा, स्विमिंग, एरोबिक्स और साइकिलिंग आदि जैसी शारीरिक गतिविधियों में शामिल होना चाहिए। 
  • कान में दर्द महसूस होने पर इसकी जांच जरूर कराएं। 
  • शरीर में किसी प्रकार का बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन होने पर इसे नजरअंदाज न करें। 
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