बच्चे जितने मन के कोमल होते है उतने ही शरीर से भी नाजुक होते है। बच्चों की संवेदनशीलता के कारण ही वे जल्दी-जल्दी बीमार भी पड़ जाते है। डेंगू बुखार जैसी संक्रामक बीमारियों के चपेट में भी बच्चे जल्दी आ जाते हैं। डेंगू का वायरस एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू वायरस से सिर्फ वयस्क ही नहीं बल्कि बच्चे भी खासा प्रभावित होते है। डेंगू का जितना खतरा व्यस्कों में रहता है, उससे कहीं अधिक बच्चों में भी रहता है। आइए जानें बच्चों में डेंगू वायरस के लक्षणों को।
बच्चों में डेंगू के लक्षण
मच्छरों के माध्यम से फैलने वाला डेंगू बुखार व्यस्कों के मुकाबले बच्चों में अधिक तीव्रता से फैलता है। शुरूआत में बच्चों में डेंगू के लक्षणों को पहचानने में थोड़ी दिक्कतें आती है लेकिन 3 से 4 दिन में डेंगू की पहचान आसानी से की जा सकती है। डेंगू के लक्षण, डेंगू के प्रकार पर निर्भर करते है। डेंगू भी तीन प्रकार का होता है और इनके लक्षण व प्रभाव भी अलग-अलग होते है।
बुखार से जांच
आमतौर पर बच्चों में होने वाले बुखार से ही डेंगू की पहचान की जाती है। यदि बच्चे में बुखार के कारण ज्ञात नहीं होते और तेज बुखार के साथ कंपकपी और शरीर में दर्द होता है तो रक्तजांच से डेंगू की पहचान की जाती है।
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बच्चे को भूख नहीं लगती
वयस्कों की तरह ही बच्चों के शरीर पर लाल रैशिस पड़ जाते है। बच्चे को भूख न लगाना, मुंह का स्वाद खराब होना डेंगू के ही लक्षण है। सिर दर्द, बदन दर्द, जोड़ों आदि में दर्द की शिकायत सभी डेंगू के ही लक्षण है। लगातार प्लेटलेट्स का स्तर का कम हो जाना। बच्चा बार-बार चक्कर आने की शिकयत करता है।
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हमेशा कमजोरी महसूस होना
कई बार डेंगू के कारण बच्चों का ब्लड प्रेशर लो हो जाता है। बच्चा हमेशा कमजोर और बीमार दिखाई पड़ता है, उसमें चलने-फिरने की हिम्मत नहीं रहती। बच्चे की खेलकूद में कोई रूचि नहीं रहती, वह आराम करने की कोशिश करता है लेकिन वह भी सही तरह से नहीं कर पाता।
बच्चे में सामान्य बुखार होने पर भी तुरंत डॉक्टर्स से जांच करवाएं और डेंगू को फैलने से रोकने के लिए बच्चे् की समय-समय पर सामान्य जांच भी करवाते रहें।
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