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Suicidal Thoughts: आत्महत्या का विचार क्यों आता है? ये 5 लक्षण जानकर न करें अनदेखी

आत्महत्या का विचार आने पर व्यक्ति नेगेटिविटी से भर जाता है, दूसरों से बातचीत बंद कर देता है और खुद को दूसरों से अलग कर लेता है।

Meera Tagore
Written by: Meera TagoreUpdated at: Oct 17, 2023 15:16 IST
Suicidal Thoughts: आत्महत्या का विचार क्यों आता है? ये 5 लक्षण जानकर न करें अनदेखी

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Signs Of Suicidal Thoughts In Hindi: आत्महत्या यानी अपनी जिंदगी को पूरी तरह खत्म कर देना। इस तरह के विचार आना किसी भी व्यक्ति के लिए सही नहीं है। इसके बावजदू, यह देखने में आता है कि कभी घर-परिवार की टेंशन, तो कभी दफ्तर की फ्रस्ट्रेशन, कभी प्यार में धोखा, तो कभी फाइनेंशियल क्राइसेस। ये कुछ ऐसे कारण हैं, जो लोगों का निराशा और उदासीनता की दलदल में धकेल देते हैं। अगर समय रहते, व्यक्ति ने खुद को न संभाला, अपनी परेशानियों का हल न निकाला, तो आत्महत्या जैसे कई नेगेटिव विचार मन में आने लगते हैं। हालांकि, कभी-कभी ऐसा होता है कि व्यक्ति आत्महत्या के बारे में नहीं सोच रहा होता है, लेकिन जो विचार उसके मन में आ रहे हैं, वे उसे आत्महत्या की ओर धकेल रहे होते हैं। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं। इस बारे में हमने क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और सुकून साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर दीपाली बेदी से बात की।

Signs Of Suicidal Thoughts

अचानक दूसरों से बातचीत करना बंद कर देना

आमतौर पर व्यक्ति बहुत ज्यादा शांत तभी होता है, जब वह उदासीनता से घिर जाता है। व्यक्ति का शांत होने का मतलब है कि उसके मन में कई तरह के नेगेटिव विचार आ रहे हैं। इस सिचुएशन में अगर व्यक्ति को सही सपोर्ट न मिले, तो व्यक्ति डीप डिप्रेशन की ओर बढ़ सकता है। ये तमाम बातें धीरे-धीरे व्यक्ति को आत्महत्या की तरफ ले जाती है। क्लीवलैंड वेबसाइट के अनुसार, "डिप्रेशन को आत्महत्या का एक बड़ा कारण माना जात है।"

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किसी बात को लेकर शर्मिंदगी महसूस करना

शर्मिदगी की वजह कुछ भी हो सकती है। किसी को अपने बॉडी को लेकर शर्मिंदगी होती है, तो किसी को अपने पार्टनर को लेकर इंफीरियरिटी होती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की मानें, तो कई बार व्यक्ति गिल्ट यानी पछतावे और शर्मिंदगी की वजह से भी आत्महत्या के बारे में सोच सकता है। किसी गलत काम पर पछतावा हो सकता है। अगर ऐसी गलती को समय रहते सुधारा न जाए या उसमें बदलाव करना संभव न हो, तो व्यक्ति अपने पछतावे से बाहर नहीं निकल पाता है।

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बिहेवियर में बहुत ज्यादा बदलाव होना

जब व्यक्ति के अंदर नेगेटिविटी बढ़ जाती है, तो उसके बिहेवियर में भी बदलाव आने लगता है। जैसे कभी अचानक उसका मूड बदल जाता है, कभी उसे दूसरों से बातचीत करने का मन नहीं करता। इसी तरह, कभी उसके सोने का पैटर्न बदल जाता है, तो कभी खानपान की अदतों में बदलाव देखने को मिलता है। ये तमाम चीजें बताती हैं कि व्यक्ति की मानसिक स्थिति सही नहीं है। उसे अपनों के साथ की जरूरत है, ताकि उसके वह आत्महत्या के विचारों तक न पहुंच सके।

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हमेशा अपने बारे में बुरा सोचना

नेगेटिविटी और फेलियर व्यक्ति को न सिर्फ दूसरों से अलग-थलग कर देती है। यहां तक कि कभी-कभी व्यक्ति अपने आपको नुकसान पहुंचाने के बारे बहुत ज्यादा सोचने लगता है। उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं होता है कि वह जो सच रहा है, वह सही नहीं है। इस तरह के व्यक्ति किसी भी तरह से खुद को कष्ट पहुंचाना चाहते हैं, जो खुद को मारते हैं, चोट पहुंचाते हैं और मरने के बारे में सोचते रहते हैं। इस तरह के लोग जानबूझकर रिस्की काम करते हैं, जिसमें जान जाने का जोखिम ज्यादा होता है।

परिचितों को गुड बाय नोट लिखना

जब कोई व्यक्ति मन ही मन दूसरों को हमेशा के लिए बाय करने की सोचता है, बिस्तर पर लेटकर यह जानने की कोशिश करता है कि उसके बिना उसके पेरेंट्स, भाई-बहन या बच्चों का क्या होगा? इस तरह के विचार व्यक्ति के नेगेटिव मानसिकता को दर्शाते हैं। मेयोक्लिनिक में प्रकाशित एक लेख से भी इस बात की पुष्टि होती है कि आत्महत्या के विचारों से ग्रस्त लोग सबको इस तरह बाय-बाय कहते हैं, जैसे दोबारा कभी मुलाकात नहीं होगी।

image credit: freepik

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