Why Irregular Periods Are Becoming More Common: आजकल हम देखते हैं कि हर तीसरी महिला अनियमित पीरियड्स का शिकार है। यानी उन्हें हर महीने समय पर पीरियड्स नहीं आते हैं। दरअसल महिलाओं की मेंस्ट्रुअल साइकिल 22 से 38 दिनों की होती है। अगर किसी महिला को इस समय अवधि के बीच पीरियड्स आते हैं, तो इसे सामान्य माना जाता है। लेकिन आजकल बहुत सी महिलाओं को कभी भी एक ही समय पर पीरियड्स नहीं आते हैं। कुछ-कुछ महिलाओं को तो 2-2 महीने तक पीरियड्स नहीं आते हैं और यह किसी एक महिला की समस्या नहीं है, बल्कि इन दिनों यह समस्या महिलाओं में बहुत आम होती जा रही है। लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि आखिर अनियमित पीरियड्स महिलाओं में इतना आम क्यों होते जा रहे हैं? आयुर्वेदिक चिकित्सक और थायराइड एक्सपर्ट डॉ. अल्का विजयन ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में इसकी पीछे की 6 मुख्य वजह बताई हैं, कि आखिर क्यों अनियमित पीरियड्स की समस्या ज्यादातर महिलाओं को परेशान कर रही है। अगर आपके पीरियड्स भी समय पर नहीं आते हैं, तो इस लेख में विस्तार से जानें ऐसा आपके साथ क्यों हो रहा है...
महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या क्यों आम हो रही है- Reasons Why Irregular Periods Are Becoming More Common In Women These Days In Hindi
1. देर रात तक काम करना या नाइट शिफ्ट
2. लंबे समय तक दर्द, पीड़ा और तनाव में रहना
3. मासिक धर्म के दौरान परिश्रम
4. कुरकुरे और क्रिस्पी स्नैक्स
5. बार-बार, जोरदार संभोग
6. पीरियड्स के दौरान लंबी यात्राएं
इसे भी पढ़ें: समय पर नहीं आते हैं पीरियड्स? तो इस तरह करें शतावरी का सेवन, दूर हो जाएगी इर्रेगुलर पीरियड्स की समस्या
डॉ. अल्का के अनुसार, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है। उन्हें पीरियड्स के दौरान रिकवरी के लिए शरीर को आराम देने और बहुत अधिक परिश्रम करने से बचने की जरूरत होती है। भले ही पीरियड्स के दौरान आपको इसके नुकसान पता नहीं चलते हैं, लेकिन जब आप लगातार पीरियड्स के दौरान अधिक परिश्रम करते हैं, तो इसका प्रभाव बाद के वर्षों में देखने को मिलता है। इसके कारण कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती हैं जैसे,
- हार्मोन असंतुलन
- असामान्य ब्लीडिंग
- अत्यधिक ब्लीडिंग
- पीएमएस / पीएमडीडी (गंभीर मूड स्विंग्स)
कोई भी चीज़ जो मन, मस्तिष्क और भौतिक शरीर पर तनाव पैदा करती है, (जैसे एक रात से अधिक गहरी नींद) गर्भाशय और उसके हार्मोन को प्रभावित करती है जैसे,
एचपीओ अक्ष के माध्यम से (हाइपोथैलेमस - पिट्यूटरी - डिम्बग्रंथि अक्ष या प्राण - अपान वात)
इसे भी पढ़ें: पीरियड्स में ट्रेवल करते समय जरूर ध्यान रखें डॉक्टर की बताई ये 6 टिप्स, कई परेशानियां रहेंगी दूर
चूंकि एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन जैसे प्रजनन हार्मोन मुख्य रूप से स्टेरॉयड हार्मोन फैट मोलेक्यूल से बने हार्मोन होते हैं, वात असंतुलन / अधिक परिश्रम से अत्यधिक शुष्कता के कारण इन हार्मोनों का उत्पादन ख़राब हो जाता है। इसलिए अच्छा आराम करना, संभोग से बचना आदि महत्वपूर्ण हैं।
View this post on Instagram
All Image Source: Freepik