माइग्रेन एक विशेष तरह का सिरदर्द है। आम सिरदर्द और माइग्रेन में अंतर होता है मगर अक्सर होने वाले सिरदर्द को लोग माइग्रेन ही मान लेते हैं। माइग्रेन एक तरह की न्यूरोलॉजिकल स्थिति होती है जिसमें सिरदर्द के अलावा भी कई लक्षण नजर आते हैं। इसमें रह-रह कर सिर में एक तरफ बहुत ही चुभन भरा दर्द होता है। ये कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रहता है। इसमें सिरदर्द के साथ-साथ गैस्टिक, जी मिचलाने, उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। माइग्रेन का दर्द आम सिरदर्द से ज्यादा तेज होता है और ये सिरदर्द के मुकाबले ज्यादा गंभीर परेशानी है। आमतौर पर माइग्रेन का दर्द आधे सिर में ही महसूस होता है। इसके अलावा चक्कर आना और कमजोरी भी माइग्रेन के लक्षण हो सकते हैं।
माइग्रेन सिरदर्द के पीछे रक्तवाहिनियों का बड़ा होना और नर्व फाइबर्स की ओर से केमिकल का स्राव करने के संयुक्त कारण उत्तरदायी होते हैा। सिरदर्द के दौरान, खोपड़ी के बिलकुल नीचे स्थित धमनी बड़ी हो जाती है। इसकी वजह से एक केमिकल का स्राव होने लगता है, जो जलन, दर्द और रक्तवाहिनी को और चौड़ा करने का काम करता है।
जेनेटिक और पर्यावरणीय कारक की माइग्रेन में भूमिका हो सकती है। माइग्रेन ट्राईगेमिनल नर्व में न्यूरोकेमिकल के बदलाव और मस्तिष्क के रसायनों में असंतुलन, खासकर सेरोटोनिन के कारण आरंभ होता है। माइग्रेन के समय सेरोटोनिन का स्तर संभवतः कम हो जाता है, जो ट्राइजेमिनल सिस्टम को न्यूरोपेप्टाइड का स्राव करने के लिए प्रेरित करता है। न्यूरोपेप्टाइड मस्तिष्क के बाह्य आवरण(मेनिंन्जेज) तक पहुंचकर सिरदर्द उत्पन्न करता है।
माइग्रेन कई कारणों से आपको अपना शिकार बना सकता है। इनमें ये कारण प्रमुख हैं।
माइग्रेन का दर्द एक विशेष तरह का सिरदर्द होता है। जानें माइग्रेन के लक्षणों को:
क्लासिकल माइग्रेन बहुत से चेतावनी भरे लक्षणों को दर्शाता है। शायद आपको सिरदर्द से पहले धुंधला दिखे। अगर आपको क्लासिकल माइग्रेन है तो इस अवस्था में आपकी रक्त वाहिनियां सिकुड़ने लगेंगी। इस अवस्था में रक्त वाहिनियां बड़ी हो जाती हैं इसलिए क्लासिकल माइग्रेन के लिए दवाएं लेना ज़रूरी होता है।
नॉन क्लासिकल माइग्रेन में समय समय पर बहुत तेज़ सिरदर्द होता है, लेकिन इसमें किसी और तरह के लक्षण नज़र नहीं दिखते। ऐसी स्थिति में सिरदर्द की शुरूवात के साथ ही दवा ले लेनी चाहिए।
यदि आपको माइग्रेन है। अथवा आपके परिवार में माइग्रेन के कारण सिरदर्द का इतिहास है, तो आपका डॉक्टर आपके चिकित्सीय इतिहास के आधार पर आपका इलाज करेगा। वह आपके लक्षणों का आंकलन करने के बाद शारीरिक और न्यूरोलॉजिक जांच करेगा। यदि आपकी परिस्थिति असामान्य है, गंभीर है अथवा आप दर्द के कारण आप अचानक बेहद तकलीफ में आ जाते हैं, तो डॉक्टर दर्द के अन्य संभावित कारणों की पुष्टि के लिए कुछ जांच करने की सलाह भी दे सकता है।
डॉक्टर रक्तवाहिनियों की समस्याओं का पता लगाने के लिए रक्त जांच करने को कह सकता है। इसके साथ ही इस जांच से वह स्पाइनल कोड अथ्वा मस्तिष्क में होने वाली संभावित समस्याओं के बारे में पता लगाने का प्रयास करता है। रक्त जांच से डॉक्टर को आपके सिस्टम में मौजूद विषैले पदार्थों के बारे में भी पता लग जाता है।
कंप्यूटराइज टोमोग्राफी यानी सीटी स्कैन में एक्स-रे किरणों की एक श्रृंखला के जरिये मस्तिष्क की विस्तृत तस्वीर तैयार की जाती है। इससे डॉक्टर को ट्यूमर, संक्रमण, क्षतिग्रस्त मस्तिष्क, मस्तिष्क में रक्त बहना और अन्य संभावित चिकित्सीय समस्याओं के बारे में पता चल सकता है। डॉक्टर ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह पुष्टि करना चाहता है कि कहीं सिरदर्द के पीछे कोई अन्य कारण तो नहीं है।
मैगनेटिक रिसोन्सेंसे इमेजिंग यानी एमआरआई करवाकर डॉक्टर कुछ जरूरी बातों के बारे में पुख्ता जानकारी इकट्ठा करता है। एमआरआई वास्तव में चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगें को कहा जाता है। ये क्षेत्र और तरंगे आपके मस्तिष्क और रक्तवाहिनियों का विस्तृत चित्र तैयार करते हैं। एमआरआई स्कैन से डॉक्टर को ट्यूमर, स्ट्रोक, मस्तिष्क में रक्तस्राव, संक्रमण और मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम से जुड़ी अन्य समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल करते हैं।
यदि आपके डॉक्टर को इस बात का संदेह हो कि दर्द के पीछे संक्रमण या मस्तिष्क में रक्तस्राव जैसी समस्यायें हो सकती हैं, तो वह स्पाइनल टेप करवाने की सलाह देते हैं। इस प्रक्रिया में एक पतली सुई मेरूदण्ड के अस्थिखण्ड कशेरुका में प्रवेश कराई जाती है। कमर के निचले हिस्से में स्थित इस सुई से अस्थि से सैंपल निकालकर प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाता है।
माइग्रेन होने की आशंका को आप इन टिप्स की मदद से कम कर सकते हैं। हालांकि अगर आपको दर्द महसूस होता है, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क जरूर करें।
माइग्रेन की समस्या होने पर डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। साथ ही यदि आप डॉक्टर के परामर्श के मुताबिक प्रतिदिन व्यायाम, योग और मेडिटेशन भी करें तो बेहतर रहेगा।
माइग्रेन का कारण मौसम में बदलाव भी होता है। इसलिए मौसम में होने वाले बदलाव से आपको अपनी हिफाजत करनी चाहिए। साथ ही घर से निकलते समय छाता लेकर निकलें, ताकि सूरज की सीधी रोशनी से बच सकें।
जिस व्यक्ति को माइग्रेन की समस्या है, उसे पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करनी चाहिए। नींद लेने से माइग्रेन में आराम मिलता है। अच्छी नींद लेने में योग, मेडिटेशन और मार्निंग वॉक भी सहायक होती है।
सिर को ठंडक देने से माइग्रेन में राहत मिलती है। ठंडक के लिए आप माथे पर बर्फ या ठंडे पानी की पट्टी रख सकते हैं। साथ ही सिर में मेहंदी लगाना भी फायदेमंद रहता है। ऐसा करने से रक्त धमनियां फैलकर अपनी पूर्व स्थिति में आ जाती हैं।
इस दौरान मौसमी फलों का सेवन करना चाहिए। हरे पत्तेदार सब्जियों के साथ ही फलों का जूस भी माइग्रेन में राहत देता है। रात के खाने में सलाद का सेवन ज्यादा करें और सोते समय त्रिफला व आंवले के चूर्ण का गुनगुने पानी से सेवन करें।
माइग्रेन की समस्या होने पर रोगी को अपनी आंखों पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहिए। ऐसा करने से समस्या बढ़ सकती है। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आपके सोने वाले कमरे में ज्यादा रोशनी नहीं आनी चाहिए। सूरज की किरणों से भी आपको बचना चाहिए।