अगर आपको किसी विशेष प्रकार का सरदर्द है तो इसके बहुत से कारण हो सकते हैं। फिज़िशियन से सम्पर्क करने पर ही आपको पता चल सकता है कि आपको माइग्रेन है या नहीं, ऐसी स्थिति में आपको माइग्रेन को समझना चाहिए कि माइग्रेन दूसरे तरीके के सरदर्द से अलग कैसे है। शरीर की वो प्रक्रीयाएं जो नार्मल सरदर्द में होती हैं वो माइग्रेन में नहीं होती हैं। माइग्रेन को लेकर आपको बहुत ज़्यादा परेशान होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आज डाक्टरों ने मिलकर ऐसी दवाएं निकाली हैं जिससे कि माइग्रेन के दर्द को कम करने की जगह माइग्रेन के कारण को खत्म किया जा सके। फिज़िशियन के दिये निर्देशों के अनुसार आपको दवाएं लेनी चाहिए।
माइग्रेन के कारण
माइग्रेन के कारण हर एक व्यक्ति में अलग अलग हो सकते हैं इसलिए आप खुद को जानें। क्या आपका माइग्रेन शापिंग के बाद शुरू होता है या मानसिक तनाव से या घर की सफाई करने से। अगर आपको माइग्रेन के कारणों का पता चल गया है तो डॉक्टर के परामर्श के अनुसार कुछ दवाएं लें और ऐसी स्थितियों से दूर रहें जिनसे आपको माइग्रेन हो जाता है। माइग्रेन को वास्कुलर हैड ऐक के नाम से भी जाना जाता है। पुराने समय के अनुसार माइग्रेन दिमाग या चेहरे की रक्त वाहिनिया में हुई गड़बड़ी से होता है। बहुत से हैड ऐक एक्सपर्टस का मानना है कि माइग्रेन एक अनुवांशिक बीमारी है जिसके कारण खान पान, वातावरण में बदलाव, स्ट़ैस लेवल में बदलाव या बहुत अधिक सोना हो सकता है। माइग्रेन के बहुत से प्रकार जाने जाते हैं लेकिन उनमें से 2 स्थितियां बहुत आम हैं।
क्लासिकल और नान क्लासिकल माइग्रेन
क्लासिकल माइग्रेन बहुत से चेतावनी भरे लक्षणों को दर्शाता है। शायद आपको सरदर्द से पहले धुंधला दिखे। अगर आपको क्लासिकल माइग्रेन है तो इस अवस्था में आपकी रक्त वाहिनियां सिकुड़ने लगेंगी। इस अवस्था में रक्त वाहिनियां बड़ी हो जाती हैं इसलिए क्लासिकल माइग्रेन के लिए दवाएं लेना ज़रूरी होता है।नान क्लासिकल माइग्रेन में समय समय पर बहुत तेज़ सरदर्द होता है, लेकिन इसमें किसी और तरह के लक्षण नज़र नहीं दिखते। ऐसी स्थिति में सरदर्द की शुरूवात के साथ ही दवा ले लेनी चाहिए।माइग्रेन से बचने के लिए कुछ रूल्स अपनायें।इन रूल्स को अपनाकर आप माइग्रेन के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
बरतें ये सावधानियां
ज़रूरत से ज़्यादा या कम ना सोयें। अच्छा होगा आप जल्दी सोने और जल्दी उठने की आदत बना लें। बहुत ज़्यादा थकान होने से भी माइग्रेन बढ़ सकता है। वीकेंड पर भी नार्मल नींद लें।खाना समय पर खायें और बहुत ज़्यादा या बहुत कम ना खायें। ऐसी चीजो़ को ना खायें जिनसे माइग्रेन हो सकता है। चाकलेट, सिरका, क्रीम युक्त पदार्थ से दूर रहें जैसे ताजा़ ब्रेड, चिकन, मीट और वो खादय पदार्थ जिनमें नाइट्रेट हो।आप रोज़ वाइन, ब्रैंडी, स्कौच, रम, जैसे पदार्थ ले सकते है। लेकिन सबसे बेहतर तरीका है आप खुद को जानें कि आपको खाने पीने में क्या नुकसान कर रहा है।जब आपका माइग्रेन ठीक होने लगे तो इन चीजों को फिरसे अपनी डायट में शामिल कर लें। हर दिन का डायट प्लान बनायें और तनाव से दूर रहें। काम के बीच में ब्रेक ज़रूर लें। माइग्रेन की स्थतियों को पहचानें।
अगर आप हैल्थ रूल्स को अपनायें और डॉक्टर के सम्पर्क में रहें तो माइग्रेन को आसानी से ठीक किया जा सकता है। दवाएं समय पर लें और ध्यान रखें दिये गये डोज़ से ज़्यादा दवाएं ना लें।
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