Is Bleeding During Pregnancy Normal In Hindi: किसी भी महिला के लिए प्रेग्नेंसी का सफर सबसे मुश्किल होता है। इस दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। कुछ अच्छे लगते हैं, तो कुछ बहुत ज्यादा कष्टकारी होते हैं। हालांकि, महिला को पूरे नौ महीने तक इन सबको सहना होता है और शरीर में हो रहे हर बदलाव पर नजर रखनी होती है। असल में, कौन-सा बदलाव गर्भवती महिला और उसके बच्चे के लिए सही है और कौन-सा चिंता का विषय बन सकता है, इस बारे में जानकरी रखना जरूरी है। कई बार हमने देखा है कि प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग हो जाती है। आमतौर पर, प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने पर महिला परेशान हो उठती है। तो क्या प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होना नॉर्मल समझा जा सकता है या फिर यह चिंता का विषय है? वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता गुप्ता से बातचीत पर आधारित।
प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग कब होती है- Causes Of Bleeding Pregnancy In Hindi
एक्सपर्ट्स की मानें, तो प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीनों में हल्की स्पॉटिंग या ब्लीडिंग होना नॉर्मल होता है। इसको लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूर नहीं होती है। हालांकि, प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने की कई वजहें हो सकती हैं, जैसे सेक्स करना, इंफेक्शन होना, हार्मोन में बदलाव और यूटरस में बदलाव होने के कारण भी ब्लीडिंग हो सकती है। प्रेग्नेंसी में कुछ टेस्ट किए जाते हैं, जैसे एमनियोसेंटेसिस या कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस)। ये टेस्ट बच्चे में जेनेटिकल प्रॉब्लम्स के बारे में जानने के लिए की किए जाते हैं। ये कुछ ऐसी बातें हैं, जिनकी वजह से प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो, तो यह चिंता का विषय नहीं बनता है। वहीं, कभी-कभी ब्लीडिंग होने की कुछ वजहें ऐसी होती हैं, जो सही नहीं है। इसमें मिसकैरिज, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी और मोलार प्रेग्नेंसी शामिल है। इस तरह की प्रेग्नेंसी होने पर गर्भवती महिला को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और अपना ट्रीटमेंट करवाना चाहिए। इसे बिल्कुल भी हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। इसके अलावा प्रेग्नेंसी की अंतिम तिमाही में प्रीटर्म लेबर, प्लेसेंट प्रेविया, प्लेसेंटा एक्रीटा जैसी समस्या होने पर भी ब्लीडिंग हो सकती है। ऐसे मामलों में भी डॉक्टर के पास जाने में देरी नहीं करनी चाहिए।
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प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने पर क्या करें?- What To Do If You Have Bleeding During Pregnancy In Hindi
प्रेग्नेंसी के दौरान अगर महिला को ब्लीडिंग हो रही है, तो महिला को इसका ट्रैक रखना चाहिए। उसे यह पता होना चाहिए कि ब्लीडिंग हैवी हो रही है या फिर लाइट हो रही है। एक बार में वह कितने पैड यूज कर रही है, इससे ब्लीडिंग के फ्लो का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा, प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग हो, तो ब्लड का कलर भी जांच लेना चाहिए। प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग का कलर अलग-अलग हो सकता है, जैसे ब्राउन, डार्क और ब्राइड रेड। अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग हो, तो उन्हें इस समय सेक्स नहीं करना चाहिए और टैंपोन के इस्तेमाल से बचना चाहिए। हैवी ब्लीडिंग और दर्द, क्रैंपिंग, उल्टी या चक्कर जैसा महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। इसमें लापरवाही न करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल- Frequently Asked Questions
प्रेगनेंसी में कितना ब्लीडिंग होना नॉर्मल है?
एक्सपर्ट्स की मानें, तो प्रेग्नेंसी में शुरुआती तीन महीनों में हल्की स्पॉटिंग या ब्लीडिंग को नॉर्मल माना जा सकता है। कई बार क्रीटिंग कंडीशन में भी प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को ब्लीडिंग हो सकती है। इस तरह की स्थिति को नॉर्मल नहीं माना जा सकता है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में करीब 20 से 25 फीसदी महिलाओं को हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो सकती है।
क्या गर्भवती महिला को खून आना नॉर्मल है?
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि गर्भवती महिलाओं के शुरुआती प्रेग्नेंसी में खून आना नॉर्मल है। हालांकि, कभी-कभी प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स करने की वजह से भी ब्लीडिंग हो सकती है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लीडिंग के साथ-साथ पेट दर्द या क्रैंपिंग महसूस हो, तो डॉक्टर दिखाने में लापरवाही न करें।
दो महीने की प्रेग्नेंसी में ब्लड क्यों आता है?
प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनो में हार्मोनल बदलाव काफी ज्यादा होते हैं, सर्विक्स फैलता है और यूटरस में भी बदलाव नोटिस किया जाता है। इन कारणों से कभी-कभी ब्लीडिंग या स्पॉटिंग हो सकती है। सामान्य तौर पर प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीने या 6 से 8 सप्ता हके दौरान वजाइनल ब्लीडिंग को खतरे के संकेत नहीं माने जाते हैं। इसके बावजूद, ब्लीडिंग के साथ-साथ आपको दर्द, चक्कर आना, क्रैंपिंग होने जैसी समस्या हो, तो तुरंत अपने गाएनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।