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गैस्ट्रिक कैंसर में स्टेज के हिसाब से ऐसे किया जाता है इलाज, जानें सावधानियां

Gastric Cancer Treatment by Stage: गैस्ट्रिक कैंसर के इलाज में स्टेज का पता होना बहुत जरूरी होता है।

Prins Bahadur Singh
Written by: Prins Bahadur SinghUpdated at: Dec 14, 2023 12:56 IST
गैस्ट्रिक कैंसर में स्टेज के हिसाब से ऐसे किया जाता है इलाज, जानें सावधानियां

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Gastric Cancer Treatment by Stage: दुनियाभर में हर साल लाखों लोग कैंसर जैसी घातक बीमारी से जान गंवा देते हैं। गैस्ट्रिक कैंसर, भी एक आम तरह का कैंसर है। गैस्ट्रिक कैंसर को पेट का कैंसर (Stomach Cancer) भी कहा जाता है। शरीर में गैस्ट्रिक कैंसर की शुरुआत होने पर दिखने वाले लक्षण सामान्य समस्याओं जैसे ही होते हैं। यही कारण है कि मरीज इन लक्षणों को सही समय पर पहचान नहीं पाते हैं और गंभीर रूप से इसका शिकार हो जाते हैं। खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खानपान की वजह से गैस्ट्रिक कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। गैस्ट्रिक कैंसर पेट के किसी भी हिस्से में हो सकता है। ज्यादातर लोगों में गैस्ट्रिक कैंसर गैस्ट्रोएसोफेगल में होता है।  गैस्ट्रोएसोफेगल, पेट का वह हिस्सा है, जो फूड पाइप से जुड़ा रहता है और डायफ्राम के ठीक नीचे मौजूद होता है। शुरुआती स्टेज में गैस्ट्रिक कैंसर के लक्षणों की पहचान कर इलाज मिलने से मरीज जल्दी ठीक हो सकता है। 

गैस्ट्रिक कैंसर के स्टेज- Gastric Cancer Stages in Hindi

गैस्ट्रिक कैंसर का पता चलने के बाद डॉक्टर मरीज के शरीर में कैंसर के स्थिति या स्टेज का पता लगाते हैं। इसके लिए कुछ विशेष टेस्ट की सहायता होती है। मेडिकल की भाषा में इस प्रक्रिया को स्टेजिंग कहा जाता है और इससे इलाज में भी आसानी होती है। हर मरीज में गैस्ट्रिक कैंसर का स्टेज अलग-अलग हो सकता है। आसान भाषा में कहें तो, गैस्ट्रिक कैंसर के मुख्य 5 स्टेज होते हैं। जब शरीर में कैंसर की शुरुआत होती है, तो इसे स्टेज 0 (Stage 0) कहते हैं, और फिर स्टेज 1 से लेकर स्टेज 4 तक इसे डिवाइड किया जाता है।

Gastric Cancer Treatment by Stage

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स्टेज के हिसाब से गैस्ट्रिक कैंसर का इलाज- Gastric Cancer Treatment by Stage in Hindi

गैस्ट्रिक कैंसर के इलाज में स्टेज का पता होना बहुत जरूरी होता है। इसके माध्यम से डॉक्टर को यह पता होता है, कि मरीज का इलाज किस ढंग से करना चाहिए। स्टेज 1 के मरीजों का इलाज दवाओं और थेरेपी के माध्यम से किया जा सकता है, लेकिन स्टेज 4 सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। एससीपीएम हॉस्पिटल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ सुदीप के मुताबिक स्टेज के हिसाब से गैस्ट्रिक कैंसर के इलाज में यह प्रक्रिया अपनाई जाती है-

स्टेज 0 गैस्ट्रिक कैंसर का इलाज

स्टेज 0 को मेडिकल की भाषा में सीटू में कार्सिनोमा कहा जाता है। इस स्टेज में पेट के प्रभावित हिस्से में लिम्फ नोड्स को हटाने के लिए गैस्ट्रेक्टोमी नामक सर्जरी की जाती है। एंडोस्कोपिक म्यूकोसल रिसेक्शन के माध्यम से कैंसर सेल्स को हटाने के लिए एंडोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा मरीज को दवाओं का सेवन और थेरेपी की सलाह दी जाती है।

स्टेज 1 गैस्ट्रिक कैंसर का इलाज

स्टेज 1 के गैस्ट्रिक कैंसर में गैस्ट्रेक्टोमी के अलावा कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के माध्यम से इलाज किया जाता है। इसके अलावा मरीज को कीमोथेरेपी की दवाओं के सेवन की सलाह भी दी जाती है। इसके अलावा लिम्फ नोड्स को हटाने के लिए एंडोस्कोपिक म्यूकोसल रिसेक्शन नामक प्रक्रिया अपनाई जाती है।

स्टेज 2 गैस्ट्रिक कैंसर का इलाज

स्टेज 2 गैस्ट्रिक कैंसर के मरीजों के इलाज में भी गैस्ट्रेक्टोमी और कीमोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा मरीज को कीमोथेरेपी की दवाओं और कैंसर के लक्षणों को कम करने वाली दवाओं के सेवन की सलाह दी जाती है।

स्टेज 3 गैस्ट्रिक कैंसर का इलाज

गैस्ट्रिक कैंसर के स्टेज 3 में मरीजों का इलाज कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और गैस्ट्रेक्टोमी सर्जरी के माध्यम से किया जाता है। इसके अलावा को कीमोथेरेपी दवाओं के अलावा कई अन्य तरह की दवाओं के सेवन की सलाह भी दी जाती है। इन दवाओं को कॉम्बिनेशन में या अकेले भी दिया जा सकता है।

स्टेज 4 गैस्ट्रिक कैंसर का इलाज

स्टेज 4 गैस्ट्रिक कैंसर के इलाज में एचईआर2-नेगेटिव ट्यूमर के लिए इम्यूनोथेरेपी के अलावा कीमोथेरेपी की जाती है। एचईआर2-पॉजिटिव ट्यूमर के लिए, इम्यूनोथेरेपी के साथ कीमोथेरेपी की जाती है। इसके अलावा सर्जरी के माध्यम से कैंसर को हटाया जाता है। इस स्टेज में कैंसर पूरी तरह फैल चुका होता है और मरीज की स्थिति भी गंभीर होती है। इस लिए मरीजों को डाइट का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।

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सही समय पर कैंसर का इलाज न होने से मरीज की परेशानियां बढ़ जाती हैं और इसकी वजह से मरीज की जान भी जा सकती है। गैस्ट्रिक कैंसर की समस्या में भी शुरूआती समय में कुछ लक्षण शरीर में दिखाईपेट के कैंसर से बचने के ल‍िए ज्‍यादा से ज्‍यादा पत्‍तेदार सब्‍ज‍ियों का सेवन करें। आप डाइट में व‍िटामि‍न बी12, आयरन, फोलेट, कैल्‍श‍ियम आद‍ि को शाम‍िल करें। पेट को ठीक रखने के ल‍िए छोटे-छोटे ह‍िस्‍सों में मील्‍स प्‍लान करें, इससे पेट पर जोर नहीं पड़ेगा।

(Image Courtesy: Freepik.com)

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