Does IVF Increase Your Chances of Having Twins: खराब जीवनशैली, खानपान में गड़बड़ी और स्वास्थ्य से जुड़ी स्थितियों की वजह से कई महिलाएं मां नहीं बन पाती हैं। दुनियाभर में इनफर्टिलिटी की समस्या के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में मां बनने के लिए महिलाएं तमाम तरह के तकनीक का सहारा लेती हैं, जिनमें आईवीएफ सबसे प्रमुख है। बीमारी, शारीरिक स्थिति समेत कुछ समस्याओं की वजह से गर्भवती न हो पाने वाली महिलाओं के लिए आईवीएफ एक वरदान की तरह से है। जब कापल नेचुरल तरीके से माता-पिता बनने में असमर्थ होते हैं, तो आईवीएफ जैसी तकनीक का सहारा लिया जाता है। IVF (इंट्रा-विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक लैब तकनीक है, जिसमें तकनीक की मदद से शुक्राणु और अंडे को टेस्ट ट्यूब में मिलाकर शिशु के विकास की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है। लेकिन आईवीएफ को लेकर जानकारी की कमी के वजह से अक्सर लोग इसको लेकर कंफ्यूज रहते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि आईवीएफ में हमेशा जुड़वा बच्चे ही होते हैं। आईवीएफ को लेकर ऐसे कई बातें लोगों में प्रचलित हैं। सेहत और खानपान से जुड़ी ऐसी बातों की सच्चाई बताने के लिए हम 'धोखा या हकीकत' नाम से एक सीरीज चला रहे हैं। इसके तहत हम आपको ऐसी ही बातों की सच्चाई डॉक्टर या एक्सपर्ट के जरिए देने की कोशिश कर रहे हैं। ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल Fact Check सीरीज 'धोखा या हकीकत' में आइए जानते हैं, क्या वाकई आईवीएफ से हमेशा जुड़वा बच्चे ही पैदा होते हैं?
क्या आईवीएफ से हमेशा जुड़वा बच्चे ही पैदा होते हैं?- Does IVF Increase Your Chances of Having Twins in Hindi
सामान्य प्रोसेस से मां बनने में असमर्थ महिलाओं के लिए आईवीएफ किसी वरदान से कम नहीं है। इन दिनों संतान सुख प्राप्त करने के लिए दुनियाभर में लोग आईवीएफ ट्रीटमेंट का सहारा ले रहे हैं। लेकिन आईवीएफ को लेकर लोगों में जानकारी की कमी के कारण इससे जुड़ी कई भ्रामक बातें भी लोगों में प्रचलित हैं। स्टार मैटरनिटी हॉस्पिटल की स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ विजय लक्ष्मी के मुताबिक, "आईवीएफ की प्रक्रिया में पुरुष के स्पर्म और महिला के एग को लेकर लैब में एंब्रियो बनाने के लिए रखा जाता है। इस प्रक्रिया में ज्यादा एंब्रियो डाला जाता है, जिससे आईवीएफ का सक्सेस रेट बढ़ जाए। लेकिन जरूरी नहीं होता है कि अगर 5 स्पर्म और 5 एग्स लिए गए हैं, तो सारे एंब्रियो शिशु का रूप ले लेंगे।" विकसित एंब्रियो को कई तरह की टेस्टिंग के बाद यूटरस में डाला जाता है। इस प्रक्रिया से पहले पेशेंट से चर्चा की जाती है और सलाह लेने के बाद ही महिला के यूटरस में एंब्रियो डाला जाता है।
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कुल मिलाकर यह कहना कि हर आईवीएफ की प्रक्रिया में जुड़वा बच्चे ही होते हैं, गलत होगा। इस प्रक्रिया में एंब्रियो डालने के से पहले पेशेंट से चर्चा की जाती है और उनकी सहमती के बाद ही दो विकसित एंब्रियो डाले जाते हैं। अक्सर इसकी वजह से ही जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं।
आईवीएफ में तकनीक की मदद से शुक्राणु और अंडे को टेस्ट ट्यूब में मिलाकर शिशु के विकास की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है। दुनियाभर में आईवीएफ प्रक्रिया का प्रयोग करके लाखों दंपत्ति संतान सुख प्राप्त कर चुके हैं। आईवीएफ की प्रक्रिया से पहले कपल्स को कई तरह के हेल्थ चेकअप्स से गुजरना पड़ता है। इसके बाद ही डॉक्टर यह निर्धारित करते हैं कि आपको आईवीएफ कराना चाहिए या नहीं है। आईवीएफ की सफलता दर भी हर व्यक्ति की शारीरिक स्थिति के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है।
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