आमतौर पर डेंगू होने पर व्यक्ति को बुखार आता है, ठंड लगती है और शरीर में कंपकंपी होती है, जो डेंगू बुखार का इलाज कराने पर आसानी से ठीक हो सकता है। मगर डेंगू शॉक सिंड्रोम की स्थिति खतरनाक हो सकती है, जानें इसके लक्षण।

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Dengue Fever Symptoms: जानलेवा हो सकता है 'डेंगू शॉक सिंड्रोम', 8 लक्षणों से पहचानें गंभीरता

आमतौर पर डेंगू होने पर व्यक्ति को बुखार आता है, ठंड लगती है और शरीर में कंपकंपी होती है, जो डेंगू बुखार का इलाज कराने पर आसानी से ठीक हो सकता है। मगर डेंगू शॉक सिंड्रोम की स्थिति खतरनाक हो सकती है, जानें इसके लक्षण।

Anurag Anubhav
Written by: Anurag AnubhavUpdated at: Aug 28, 2019 11:40 IST
Dengue Fever Symptoms: जानलेवा हो सकता है 'डेंगू शॉक सिंड्रोम', 8 लक्षणों से पहचानें गंभीरता

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गर्मी के बाद बारिश का मौसम सुकून देता है मगर अपने साथ कई बीमारियां भी ले आता है। मौसम में बदलाव के कारण वायरल बुखार, डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इसका कारण यह है कि बारिश के मौसम में जगह-जगह पानी के जमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। आमतौर पर डेंगू होने पर तेज बुखार, ठंड लगना और शरीर में कंपकंपी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ये डेंगू के शुरुआती लक्षण हैं।

अगर डेंगू का सही समय पर इलाज न किया जाए, तो बीमारी गंभीर और खतरनाक हो जाती है। तीसरी स्टेज में पहुंचने पर व्यक्ति को डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue Shock Syndrome) का खतरा होता है।  आमतौर पर इस स्टेज में पहुंचने पर डेंगू खतरनाक हो जाता है। आइए आपको बताते हैं क्या हैं डेंगू शॉक सिंड्रोम के लक्षण और कितनी खतरनाक है डेंगू की ये स्टेज।

डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस)

डेंगू रोग वायरस के कारण फैलने वाला रोग है। ये वायरस मनुष्यों में मच्छरों के काटने से फैलता है। आमतौर पर एनोफिलिज नामक मच्छर डेंगू के वायरस को फैलाते हैं, जो दिन के समय ज्यादा काटते हैं। डेंगू के वायरस कई प्रकार के हो सकते हैं और इन सभी के अलग-अलग लक्षण होेते हैं। आमतौर पर किसी व्यक्ति को एक बार डेंगू हो जाए, तो वही वायरस उसे दोबारा नहीं प्रभावित करता है। अगली बार किसी दूसरे डेंगू वायरस का असर ही उस व्यक्ति पर होगा।

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साधारण तौर पर होने पर डेंगू एक सामान्य बीमारी है, जिसे इलाज के बाद आसानी से ठीक किया जा सकता है। मगर यदि किसी व्यक्ति को दूसरे या तीसरे स्टेज का डेंगू हो जाता है, तो ये जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू हेमरहेजिक बुखार (Dengue Hemorrhagic Fever) और डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue Shock Syndrome) ऐसी ही स्थितियां हैं, जिसका तुरंत उपचार शुरू नहीं किया जाता तो ये दोनो ही डेंगू मरीज के लिए घातक हो सकते है। इसीलिए समय रहते डेंगू के स्वरूप का पता लगाना बहुत आवश्यक है। जब रोगी डेंगू आघात सिंड्रोम से ग्रसित होता है तो कई बार उसका बचना नामुमकिन हो जाता है।

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डेंगू शॉक सिंड्रोम के लक्षण

आमतौर पर डेंगू की गंभीर और तीसरी अवस्था को डेंगू शॉक सिंड्रोम कहा जाता है। डेंगू शॉक सिंड्रोम की पहचान रोगी में कुछ लक्षणों को देखकर की जाती है।

  • मरीज तेज कंपकंपी के साथ पसीने से तर हो जाता है।
  • शॉक सिंड्रोम की स्थिति आते ही मरीज के शरीर पर पड़ने वाले लाल चकते अधिक गहरे हो जाते है और उनमें खुजली होने लगती है। 
  • रोगी की नब्ज  में दबाव कम पड़ने लगता है साथ ही नब्ज सामान्य से कम चलती है।
  • अधिक ठंड के साथ-साथ शरीर में बेचैनी होने लगती है। 
  • इसके अलावा साधारण और हेमरेजिक बुखार के लक्षणों के बावजूद संक्रमित व्यक्ति हर समय बेचैन रहने लगता है। 
  • मरीज धीरे-धीरे अपने होश तक खोने लगता है। जिससे मरीज को मानसिक आघात पहुंचने का भी खतरा रहता है।
  • मरीज का ब्लड प्रेशर बहुत कम हो जाता है।
  • डेंगू बुखार में लगतार बदलते लक्षणों और परिवर्तनों के दौरान समय-समय पर शारीरिक जांच करवानी चाहिए। डॉक्टर्स से परामर्श कर रक्तो जांच भी करवानी चाहिए।

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