डेली रूटीन का सबसे ज्यादा असर हमारे शरीर पर पड़ता है। ऐसे में हमे कई बीमारियों का शिकार होना पड़ता है। उन्हीं में से एक है अर्थराइटिस। ये एक ऐसी बीमारी है जो शरीर को काफी तकलीफ देने का काम करती है। पहले अर्थराइटिस को बड़ी उम्र की बीमारी माना जाता था। लेकिन आजकल युवाओं में भी इस बीमारी के काफी लक्षण देखे जा रहे हैं। वैसे तो इसके कई कारण हो सकते हैं। लेकिन लोगों में शारीरिक मेहनत और व्यायाम में कमी और साथ ही खान-पान की गड़बड़ी और अनियमित जीवनशैली है इसका बड़ा कारण है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस, अर्थराइटिस का ही एक प्रकार है जो किसी भी उम्र के शख्स में हो सकता है। ये महिलाओं में काफी आम है और अक्सर मध्यम आयु में होता है। अर्थराइटिस के दूसरे प्रकार की तरह ही इसमें भी जोड़ों में सूजन और दर्द की समस्या होती है। जब आपका इम्यून सिस्टम आपके जोड़ों पर हमला करता है तो आपको रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या का सामना करना पड़ता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस
अगर आप भी रूमेटाइड अर्थराइटिस का शिकार है तो आपके जोड़ों में दर्द होता रहेगा। आपको बता दें कि इसका कारण ये है कि जोड़ों में सूजन रहती है। सूजन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो तब होती है जब आपका इम्यून सिस्टम बाहरी आक्रमणकारी (फॉरेन इनवेडर) पर हमला करता है।
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सी-रिऐक्टिव प्रोटीन
सी-रिऐक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) एक प्रोटीन होता है। जिसका आपका लीवर बनाता है। ये प्रोटीन आपके खून में पाया जाता है। सूजन के समय आपके खून में सीआरपी का स्तर बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, जब आपको कोई इन्फेक्शन होता है तो आपके खून में सीआरपी स्तर बढ़ जाता है। जब इन्फेक्शन पर नियंत्रित हो जाता है तो उच्च सीआरपी स्तर गिर जाता है।
सीआरपी और रूमेटाइड अर्थराइटिस की पहचान
- लैब टेस्ट, जैसे कि रूमेटाइड कारक की पहचान के लिए ब्लड स्कैनिंग।
- आपके जोड़ों की सूजन और दर्द।
- लक्षणों की अवधि।
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सीआरपी टेस्ट(CRP TEST)
सीआरपी टेस्ट के लिए आपको खून का सैंपल देना पड़ता है। इसके बाद उसे लैब में ले जाया जाएगा और फिर जब रिपोर्ट आने पर आपको उसे डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा। इसके बाद आपका डॉक्टर आपको बताएगा कि आपको किस तरह की दवाइयों की जरुरत है। सीआरपी टेस्ट के लिए खून देने में किसी प्रकार का जोखिम नहीं होता।