IVF Success Story in Hindi: खराब खान-पान और लाइफस्टाइल की वजह से आजकल महिलाएं कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रही हैं। इसमें एंडोमेट्रियोसिस भी शामिल है, जो प्रजनन उम्र की महिलाओं में देखने को मिलता है। यह एक ऐसी समस्या है, जिसमें गर्भाशय की आंतरिक परत बनाने वाले एंडोमेट्रियल टिश्यू में असामान्य रूप से वृद्धि होने लगती है। कई मामलों में ये टिश्यू गर्भाशय से बाहर निकलकर अन्य अंगों तक फैलने लगते हैं। आपको बता दें कि दुनियाभर में लाखों महिलाएं ऐसी हैं, जो एंडोमेट्रियोसिस से जूझ रही हैं। दरअसल, एंडोमेट्रियोसिस का प्रजनन अंगों पर बुरा असर पड़ता है, जिससे महिलाओं को नेचुरल तरीके से गर्भधारण करने में दिक्कत आती है। इसकी वजह से महिलाओं को इंफर्टिलिटी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट किसी वरदान से कम नहीं है। भोपाल में रहने वाले दंपति (कविता झा और मनोज झा) ने भी आईवीएफ का सहारा लिया और अपने जुड़वा बच्चों का संतान सुख प्राप्त किया। इसमें कविता को एंडोमेट्रियोसिस था, जिसकी वजह से वह शादी के 7 साल तक भी कंसीव नहीं कर पाईं। ऐसे में इस कपल ने आईवीएफ लेने का सोचा और आज वे दो जुड़वा बच्चों के माता-पिता हैं। इनकी तरह ही कई कपल्स हैं, जो संतान सुख प्राप्त करने के लिए IVF का सहारा ले रहे हैं। लेकिन आज भी समाज में आईवीएफ को लेकर लोग ज्यादा जागरूक नहीं है। ऐसे में लोगों के बीच आईवीएफ के महत्व को बढ़ाने के लिए हर साल 25 जुलाई को विश्व आईवीएफ दिवस (World IVF Day) मनाया जाता है। साथ ही, ओन्लीमायहेल्थ भी #KhushkhabriWithIVF मुहिम चला रहा है, जिससे उसके पाठकों को आईवीएफ से जुड़ी सभी जानकारियां मिलती रहे। तो इसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए आज के इस लेख में हम आपको कविता और मनोज की आईवीएफ की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं, उन्हीं की जुबानी-
एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित थीं कविता
कविता बताती हैं, "मुझे पिछले 9 सालों से एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी है। जब शुरुआत में इस समस्या के लक्षण महसूस हुए, तो मैंने नजरअंदाज कर दिए। फिर जब समस्या बढ़ती गई, तो मैंने डॉक्टर से कंसल्ट किया। मेरा चेकअप हुआ और फिर पता चला कि मुझे एंडोमेट्रियोसिस है। उस समय मुझे इस बीमारी के बारे में कुछ पता नहीं था। फिर मैंने इसके बारे में सर्च किया और सारी जानकारी ली। साथ ही, मेरी दवाइयां भी चल रही थी। एंडोमेट्रियोसिस से छुटकारा पाने के लिए मैं योग करती थी और डाइट पर भी पूरा ध्यान देती थी। इससे लक्षणों में तो कमी आई, लेकिन समस्या से निजात नहीं मिली।"
इसे भी पढ़ें- पीसीओएस की वजह से शादी के 5 साल बाद भी कंसीव नहीं कर पा रही थीं डिंपल, आईवीएफ की मदद से मिली गुड न्यूज
आईवीएफ की मदद से मिली गुड न्यूज
कविता बताती हैं, "मेरी शादी साल 2016 में हुई। उस समय भी मैं एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित थी। लेकिन मुझे पता नहीं था कि इसकी वजह से मुझे गर्भधारण करने में दिक्कत आएगी। जब शादी के दो साल बाद हमने फैमिली को आगे बढ़ाने का सोचा, तो सफलता नहीं मिल पाई। हमने थोड़ा और इंतजार करने का सोचा और एक साल बाद फिर ट्राई किया। लेकिन फिर भी हमें हार ही मिली। इसके बाद हम डॉक्टर से मिले और मेरे और मेरे पति की सारी जरूरी जांच हुई। इसमें पता चला कि मुझे जो बीमारी (एंडोमेट्रियोसिस) है, उसकी वजह से मैं गर्भधारण नहीं कर पा रही हूं। फिर डॉक्टर ने मुझे कुछ दवाइयां दी और हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करने का सुझाव दिया। उस वक्त डॉक्टर ने हमें आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने की भी सलाह दी, लेकिन हम नेचुरल तरीके से ही बच्चे को जन्म देना चाहते थे। फिर जब शादी के लगातार 7 साल बाद भी मैं कंसीव नहीं कर पाई, तो हमने आईवीएफ लेने का डिसाइड किया।"
इसे भी पढ़ें- पीसीओएस में डायबिटीज को कैसे करें कंट्रोल, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर
जुड़वा बच्चों को दिया जन्म
कविता बताती हैं, " मेरे पहले दो आईवीएफ फेल हुए थे। फिर तीसरी बार आईवीएफ ट्रीटमेंट लिया और सफल हो गया। एंब्रयो ट्रांसफर के बाद जब मैंने प्रेग्नेंसी जांच की, तो पॉजिटिव निकली। उस दिन मेरे और मेरे पति खुशी से झूम उठे थे। मानो पूरी दुनिया की खुशी हमें मिल गई हो। इसके बाद, जब अल्ट्रासाउंड कराया गया, तो पता चला कि जुड़वा बच्चे हैं। आईवीएफ सफल होने के बाद मुझे डॉक्टर से जरूरी दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी। साथ ही, हेल्दी डाइट लेने की सलाह दी और लाइट एक्सरसाइज को लाइफस्टाइल में शामिल करने के लिए कहा। मैंने सभी चीजों को फॉलो किया और 9 महीने बाद अपने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। आईवीएफ टेक्नॉली की मदद से ही हम माता-पिता बन पाए हैं।"
क्या कहती हैं डॉ. शोभा गुप्ता
मदर्स लैप आईवीएफ की डॉ. शोभा गुप्ता बताती हैं, "आईवीएफ उन सभी कपल्स के लिए एक उम्मीद है, जो नेचुरल तरीके से माता-पिता नहीं बन पा रहे हैं। किसी भी कपल को आईवीएफ लेने के लिए शर्माने या डरने की जरूरत नहीं है। आईवीएफ प्रक्रिया काफी सुरक्षित होती है और संतान सुख प्राप्त करने के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। अगर किसी महिला को एंडोमेट्रियोसिस है, तो वह भी आईवीएफ की मदद ले सकती हैं। लेकिन अगर एंडोमेट्रियोसिस गंभीर होता है, तो आईवीएफ की सफलता दर कम हो सकती है। इसलिए अगर आपको कोई भी समस्या है और नेचुरल तरीके से कंसीव नहीं कर पा रही हैं, तो एक बार डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें।"