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कैंसर से जंग जीत चुकी नीति आयोग की डायरेक्टर डॉ उर्वशी ने बताया इसकी जांच से इलाज तक का सफर, मिलेगी प्रेरणा

Cancer Survivor Story: डॉ उर्वशी एक कैंसर सर्वाइवर हैं। आइए, जानते हैं कैंसर के इस जंग को उन्होंने कैसे जीता, उन्ही की जुबानी।

Meera Tagore
Written by: Meera TagoreUpdated at: Dec 11, 2023 17:47 IST
कैंसर से जंग जीत चुकी नीति आयोग की डायरेक्टर डॉ उर्वशी ने बताया इसकी जांच से इलाज तक का सफर, मिलेगी प्रेरणा

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cancer survivor story: "जो व्यक्ति यंग है, हेल्दी है और स्मोकिंग भी नहीं करता, वह कभी सोच ही नहीं सकता है कि उसे कभी कैंसर हो सकता है। इसलिए, मैं भी बिल्कुल निश्चिंत थी। मुझमें कैंसर के कोई लक्षण नहीं थे। लेकिन पिछले साल जब मैं बहुत बीमार हुई, खासकर मेरे लिवर में परेशानियां शुरू हुई, तब अहसास हुआ कि जो मेरे साथ हो रहा है, वह सही नहीं है। मैं स्टेज 4 तक पहुंच गई थी, जब मेरी तबियत काफी ज्यादा बिगड़ने लगी। मेरा कैंसर, जो कि लंग्स से शुरू हुआ और लिवर तक पहुंच गया। इसका मतलब था कि कैंसर धीरे-धीरे मेरे शरीर के कई अंगों तक फैल रहा था।" ALK cancer survivor & Director, Office of Vice Chairman, Niti Ayog, डॉ उर्वशी एक कैंसर सर्वाइवर हैं, जिन्होंने इस बीमारी के बारे में विस्तार से बात की।

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क्या है एल्क कैंसर- What Is ALK Cancer In Hindi

डॉ उर्वशी के शब्दों में, "यह बहुत ही रेयर कैंसर है। इसे ALK Cancer के नाम से जानते हैं। ALK एक किस्म का जीन है, जो हम सबके अंदर होता है। कुछ अज्ञात कारणों से यह जीन कुछ लोगों में ट्रिगर हो (What Does ALK Mean In Cancer) जाता है, जिस वजह से ALK Cancer हो जाता है। आम बोलचाल में इसे नॉन-स्मोकर कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि, ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि लंग्स से जुड़ा कैंसर है, तो वह स्मोकिंग से जुड़ा हुआ ही होगा। लेकिन, ALK Cancer नॉन स्मोकिंग या बहुत लाइट स्मोकिंग के कारण होता है। यह एक ऐसा कैंसर है, जो नॉन-स्मोकिंग लोगों में ज्याद होता है और महिलाएं इसका शिकार ज्यादा होती हैं। खासकर, जवान महिलाओं को ALK Cancer का रिस्क ज्यादा होता है।"

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एल्क कैंसर के लक्षण- Symptoms Of ALK Cancer In Hindi

डॉ उर्वशी अपने शरीर में नजर आ ALK Cancer के लक्षणों के बारे में बताती हैं, "मैं तो फिजिकली बहुत ही फिट थी और मुझमें कोई भी लक्षण नजर नहीं आए थे। जाहिर है, जो इतना फिट हो, स्मोक नहीं करता है, उसके तो ख्यालों में भी यह नहीं आ सकता है कि उसे ALK Cancer हो सकता है। लेकिन, ऐसा हुआ और मुझे इसका अहसास तब हुआ जब मेरी तबियत खराब रहने लगी और मेरा लिवर प्रभावित होने लगा। असल में कैंसर का प्रभाव धीरे-धीरे मेरे शरीर के अन्य अंगो तक फैल रहा था। चूंकि, कैंसर से मेरा लिवर इफेक्टेड हो चुका था इसलिए, मेरे सारे लक्षण लिवर से जुड़े हुए थे, जैसे मेरी भूख खत्म हो गई थी, मेरा वजन तेजी से गिर रहा था, अक्सर मतली आती रहती थी और उल्टी भी होती रहती थी। पिछले साल तक जब ये सभी लक्षण जारी रहे, तो मैंने कई सारे टेस्ट करवाएं। दिक्कत की बात ये थी कि टेस्ट में भी कोई ऐसी रिपोर्ट नहीं आ रही थी, जिससे मेरी बीमारी का पता चलता। अंत में मेरी बायोप्सी की गई ताकि यह पता लग सके कि असल में मेरे शरीर में हो क्या रहा है?"

एल्क कैंसर होने के कारण- Causes Of ALK Cancer In Hindi

"मेरी बायोप्सी की रिपोर्ट देखकर तो डॉक्टर भी हैरान थे, उन्हें लगा कि ऐसा कैसे हो सकता है? जैसा कि मैंने पहले ही बताया है कि जो फिजिकली इतना फिट हो और स्मोकिंग भी न करता हो, उसे भला लंग से जुड़ा कैंसर कैसे हो सकता है? लेकिन हमें यह फैक्ट भी स्वीकार करना ही पड़ा कि यह स्थिति किसी के साथ भी हो सकती है? किसी को भी ALK Cancer हो सकता है। इसका कारण कुछ भी हो सकता है, जैसे किसी तरह के मेंटल ट्रॉमा की वजह से ऐसा हो सकता है या फिर कोई और कारण। इसकी वजह स्पष्ट नहीं है। किसी को नहीं पता है कि मुझे यह कैंसर क्यों हुआ।" डॉ. उर्वशी ने अपनी बात पूरी की।

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एल्क कैंसर का ट्रीटमेंट- Treatment Of Alk Cancer

डॉ उर्वशी को ट्रीटमेंट कई तरह की चीजों का सामना करना पड़ा। वह कहती हैं, "कैंसर ग्रुप ऑफ डिजीज है। इसमें 200 तरह के अलग-अलग कैंसर आते हैं। इसलिए, इनका ट्रीटमेंट के तरीके भी अलग-अलग होते हैं। किसी को सर्जरी फेस करनी होती है, तो किसी को कीमो करवाना पड़ता है। कई लोग रेडिएशन भी करवाते हैं। टार्गेटेड थेरेपी के जरिए भी कैंसर का इलाज किया जाता है। टार्गेटेड थेरेपी की मदद से ही मेरा इलाज (Can ALK Lung Cancer Be Cured) किया जा रहा था। इस थेरेपी के अंदर मुझे रोजाना ओरल टैबलेट्स लेनी होती थी।’ उर्वशी अपनी बात आगे बताती हैं, ‘यह बहुत ही रेयर टाइप का कैंसर है। इसलिए, इस पर अभी बहुत सारे रिसर्च होना बाकी है। हालांकि, रेयर होने के बावजूद इसके मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि अगर किसी को यह कैंसर होता है, तो उसे स्वस्थ जीवन जीने के लिए पूरी जिंदगी दवाईयों पर डिपेंड रहना पड़ेगा। (Can ALK Lung Cancer Be Cured)  इसके अलावा, लंबे समय तक एक जैसी दवाईयों पर निर्भर नहीं रह सकते हैं, इसलिए एक निश्चित समय बाद मेडिसिन बदलनी पड़ती है।’

एल्क कैंसर का मेंटल हेल्थ पर असर-Impact On Mental Health OF ALK Cancer

"किसी के लिए भी कैंसर को स्वीकार करना बहुत मुश्किल होता है। जब मुझे यह बीमारी हुई, तो मैंने रियलाइज किया कि मेंटल हेल्थ पर हम लोग विशेष जोर देते ही नहीं है। असल में, डॉक्टर्स सिर्फ इसके फिजिकल लक्षण, कारण और इलाज पर जोर देते हैं। जबकि, हकीकत यह है कि एल्क कैंसर व्यक्ति को मानसिक रूप से पूरी तरह तोड़ देता है। मेरे साथ भी यही हुआ। यहां तक कि कैंसर व्यक्ति को साइकोलॉजिकली, सोशली भी इफेक्ट करता है और उसके निजी संबंधों पर भी इसका असर नजर आता है। असल में, मरीज की पूरी जिंदगी बदल जाती है। मैं अपनी बात करूं, तो जब मेरी बीमारी का डायग्नॉस हुआ, तो मैं पूरी तरह शॉक में थी। मैं बस यही सोच रही थी कि आखिर मुझे यह क्यों हुआ? किस चीज के ट्रिगर होने पर मुझे कैंसर हुआ। सच बात तो ये है कि मैं सीवियर डिप्रेशन में जा चुकी थी। मुझे एंग्जाइटी होने लगी थी और मन में आत्महत्या के ख्याल भी आते थे। इसे आप नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति इतना यंग है और फिट है, लेकिन अचानक वह इतना बीमार हो गया है कि उसकी बचने की उम्मीद खत्म हो गई है। यही कंडीशन मेरी थी। इस तरह की सिचुएशन में व्यक्ति सिर्फ यही सोचता है कि जिंदगी कभी भी खत्म हो सकती है, अचाकन सब कुछ बिखर गया है और रुक गया है। मुझे इसका कोई समाधान नजर नहीं आ रहा था। मुझे लगता है मेरी ही तरह, अगर किसी को भी कैंसर हो, तो उसके लिए यह शॉकिंग न्यूज ही होगी।" डॉ. उर्वशी ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा।

एल्क कैंसर होने पर लें दूसरों की मदद- Seek Help

डॉ उर्वशी आगे कहती हैं, "कोई भी व्यक्ति जो लंबे समय से बीमार है, उसे दूसरों से मदद जरूर लेनी चाहिए। उन्हें मदद मांगने में शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। ऐसा सिर्फ कैंसर के मरीजों के लिए नहीं, बल्कि किसी भी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीज के लिए जरूरी है। वास्तव में, ज्यादातर लोग बीमार होने पर सिर्फ शारीरिक लक्षणों पर ही नजर रखते हैं। जबकि मानसिक सुकून पूरी तरह छिन जाता है। इन दिनों मेंटल हेल्थ सबसे ज्यादा इफेक्ट होती है। इसलिए, दूसरों की मदद लेने से कभी न हिचकिचाएं। मैंने भी ऐसा ही किया था। वहीं, अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसे मरीज के साथ रह रहा है, जिसे कैंसर है, तो उसकी मेंटल हेल्थ को समझें, उससे बातची करें और उसे जब भी जरूरत हो, आप उसका साथ दें।"

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