डेंगू बुखार को डेन वायरस भी कहते हैं। सामान्यतः एक बार शरीर में वायरस के प्रवेश करने के बाद डेंगू बुखार के लक्षण 4 से 6 दिन के बाद ही मालूम पड़ते हैं। डेंगू बुखार का वायरस एडीस नामक मच्छर के काटने से रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में फैलता है । ये मच्छर आमतौर पर दिन के समय काटता है। लेकिन समय रहते डेंगू का उपचार किया जाए तो डेंगू बढ़ने से रोका जा सकता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि डेंगू का पता कैसे लगाया जाए। कैसे पता चलेगा कि संक्रमित व्यक्ति डेंगू वायरस से ग्रसित है। आइए जाने डेंगू की पहचान के बारे में।
आमतौर पर कुछ सामान्य लक्षणों से डेंगू का अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन ये अंदाजा गलत भी हो सकता है। ऐसे में संक्रमित व्यक्ति में डेंगू के लक्षण दिखाई देते ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
- डेंगू में प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत है या नहीं इसके बारे में भी डॉक्टर्स ही बताते है लेकिन यह सब जानकारी डॉक्टर्स मरीज की रक्त जांच के बाद ही बता सकते है।
- डेंगू के कई प्रकारों को देखते हुए डॉक्टर संक्रमित व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर ही रक्त जांच की सलाह देते है। डेंगू की पहचान के लिए रक्त जांच अनिवार्य होती है।
- आमतौर पर सिवियर और साधारण मलेरिया जांच के लिए रैपिड टेस्ट जांच को जरूरी बताया गया है, जिसमें रक्त में फैलसिपेरम प्लाज्मोडियम की उपस्थिति को आरबीसी के आधार पर गिना जाता है।
- इसके अलावा रीयल टाइम पीसीआर (पॉलीमरेज चेन रिएक्शन) टेस्ट से भी डेंगू की जांच की जाती है।
- वर्तमान में डेंगू जांच के लिए रेपिड डाइग्नोस्टिक किट का भी इस्तेमाल किया जाता है।
- हेमेगुलीटिनीशन इनहीबिशन टेस्ट तथा एलीसा सेरोलोजिकल टेस्ट से भी डेंगू विषाणुओं की पहचान की जा सकती है। इनमें एलीसा टेस्ट कम खर्चीला, करने में आसान तथा तुरंत परिणाम देने वाला होता है।
आमतौर पर डेंगू की जांच कभी भी की जाए लेकिन मच्छर के काटने और डेंगू वायरस शरीर में फैलने में 4 से 5 दिन लेता है इसीलिए रक्त जांच में भी डेंगू और उसके रूपों की पहचान तभी हो पाएगी जब संक्रमित व्यक्ति में या तो डेंगू फैल चुका हो या फिर उसे तीन-चार दिन बीत चुके हो, क्योंकि डेंगू के लक्षण भी रोगी में तीन-चार दिन के बाद ही दिखाई देने लगते है।
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